
उत्तर प्रदेश की राजनीति में अब ‘गंगा-जमुनी सियासत’ नहीं, ‘गाजीपुर से गोंडा तक गेमप्लान’ की चर्चा है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने 9 अक्टूबर को कांशीराम पुण्यतिथि रैली के जरिए 2027 का बिगुल फूंक दिया है।
बसपा का ‘अंधकार युग’: मायावती की सियासी टॉर्च लौटेगी?
2012 के बाद से बसपा की हालत ऐसी हो गई थी जैसे JEE में 1 मार्क से चूक गया स्टूडेंट — न भाव, न भविष्य।
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2022: बसपा सिर्फ 1 सीट
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2024: खाता भी नहीं खुला
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वोट शेयर: गिरकर 9.39%
जाटवों में पकड़ ढीली, गैर-जाटव बोले – “अब और नहीं!”
साफ है, मायावती को अब सिर्फ राजनीति नहीं, PR और ground connect दोनों की ज़रूरत है।
मायावती की नई रणनीति: ‘माया’ का बूथ लेवल चक्रव्यूह
“दिल्ली से लखनऊ शिफ्ट” कोई शिफ्टिंग सर्विस नहीं थी, ये सियासी चक्रव्यूह की शुरुआत थी।
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गांव-गांव बैठकें
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नए समीकरण: दलित + अतिपिछड़ा + मुस्लिम
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परिवार कार्ड: भतीजे आकाश आनंद का प्रमोशन और ‘घरवापसी’ कर चुके ससुर अशोक सिद्धार्थ
Translation?: “अब पार्टी नहीं, परिवार भी मैदान में!”
सपा का PDA बनाम बसपा का D+M+OBC: फॉर्मूला युद्ध शुरू
अखिलेश यादव का PDA (Pichda-Dalit-Muslim) 2024 में हिट रहा। लेकिन अब मायावती का नया नारा है:

“PDA नहीं, DM+OBC+M हमारा असली आधार है!”
BSP उन वोटर्स को लुभाना चाह रही है जो “न यादव, न मोदी” के फार्मूले में फिट बैठते हैं।
राजनीति में Trust से ज्यादा Trending चल रहा है। और BSP को ट्रेंड में लाना मायावती के लिए UPSC क्लियर करने से कम नहीं।
‘2027 में कौन बनेगा मुख्यमंत्री?’
ये रेस अब सिर्फ BJP, BSP और SP की नहीं रही। ये अब एक वोट ट्रैकिंग रियलिटी शो बन चुका है:
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मायावती: “आधार वोट बैंक वापसी”
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अखिलेश: “पिछड़ों का प्रोग्रामिंग फार्मूला”
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भाजपा: “खामोशी से 2027 की बिसात”
अगर मायावती सफल होती हैं, तो अखिलेश के PDA की हवा और BJP के कैलकुलेशन दोनों पर असर पड़ेगा।
“UP में दो ही चीजें तय हैं — भारी ट्रैफिक और भारी सियासत। मायावती अगर सही गियर में हैं, तो अखिलेश को अब Google Maps नहीं, Election Maps देखना पड़ेगा!”
